एक छोटे से बच्चे ने गेमिंग की आदत के कारण अपने दोस

इंदौर में 8 सितंबर को एक बहुत ही हृदय विदारक घटना घटित हुई!

यह घटना आपने शायद अख़बारों में पड़ी होगी जिसमें एक 12 साल के बच्चे ने 10 साल की बच्ची को पत्थर से सिर पर वार करके मार डाला! घटनाक्रम कि पूछताछ के दौरान पुलिस को बच्चे ने बताया कि वह फ्री फायर नाम का गेम खेलता था, जिसमें एक दूसरे खिलाडी को मारना होता था ! बालिका कई दिनों से अपने दोस्त को ऑनलाइन खेल में हरा रही थी जिससे बालक मन ही मन में परेशां था!

NGO for child

यह काल्पनिक खेल कब आम ज़िन्दगी का हिस्सा बन गया किसी ने नहींसोचा होगा ! बालक के पास एक चुहिया थी जिसकी कुछ दिनों पहले मृत्यु हो गई थी ! बालक को शक था की चुहिया को उसकी 10 साल की दोस्त ने मारा है ! इसी बात का बदला लेने के लिए 12 साल के बालक ने अपनी 10 साल की दोस्त को मार दिया !

आप इस घटना के लिए किसको जिम्मेदार समझना चाहेंगे ? यदि आप इस घटना के लिए बालक को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं तो यह पूरा सच नहीं होगा ! क्योंकि बच्चे जो कुछ भी सीखते हैं अपने आसपास के वातावरण, माता-पिता, दोस्त आदि से सीखते हैं ! आज कल के परिपेक्ष में इंटरनेट और ऑनलाइन गेम भी बच्चों के लिए समय बिताने का एक सबसे बड़ा साधन है ! इंटरनेट पर एक अजीबोगरीब काल्पनिक दुनिया है जिस दुनिया में अनेक कंपनियां बच्चे को ही नहीं बल्कि बड़ों के मन को दृष्टिगत रखते हुए ऐसे-ऐसे खेल / कार्यक्रमों का निर्माण करती है जिसमें हम लोग एक काल्पनिक दुनिया का अभिन्न अंग बनने लगते हैं ! इसका सबसे ज्यादा असर बच्चों पर पड़ता है क्योंकी माता-पिता का समय और प्रेम न मिलने पर बच्चे इन ऑनलाइन गेम्स में ही आनंद महसूस करने लगते हैं, गेम में अपने प्रतिद्वंदी को मारने पर अच्छा महसूस करते हैं ! यदि इन गेम्स को लंबे समय तक इस्तेमाल किया जाए तो यह किसी भी व्यक्ति खासकर बच्चों के मन एवं मस्तिष्क पर गहरा प्रभाव छोड़ सकते हैं और वर्तमान में इसका परिणाम हम रोजाना हो रही घटनाओं में देखते है !

एक छोटा बच्चा जिसकी उम्र लगभग दो-तीन साल की है वह अपने दैनिक जीवन में माता-पिता का समय और साथ चाहता है ! वह जब चलना सीख रहा होता है या बोलना सीख रहा होता है तो अपने माता पिता से उत्साह पाना चाहता है ! परंतु आज की इस भागदौड़ की जिंदगी में बच्चों को पर्याप्त समय देना माता-पिता के लिए मुश्किल सा होता जा रहा है ! अधिकतर माता-पिता अपनी व्यस्तताओं की वजह से बच्चों को समय नहीं दे पाते एवं अनजाने में स्वयं ही बच्चों के हाथों में मोबाइल थमा देते हैं ! कुछ समय बाद जब वह बच्चा मोबाइल का आदी हो चुका होता है तो माता-पिता चिंता व्यक्त करते हैं कि हमारा बच्चा दिन प्रतिदिन मोबाइल में ही अपना समय व्यतीत करता है ! इस काल्पनिक दुनिया से बच्चों को बचाने की अत्यंत आवश्यकता है, नहीं तो बहुत देर हो जाएगी !

एक माता पिता होने के नाते हमें क्या करना चाहिए ? यदि हम 4T का फार्मूला अपनाएं तो शायद हम अपने बच्चों को एक सही दिशा दे सकते हैं जिसके वे वास्तविक हकदार है

1. T for Time

किसी भी रिश्ते को मजबूत करने के लिए उस रिश्ते को समय देना अत्यंत आवश्यक है! अगर बच्चों के दृष्टिकोण से देखा जाए तो बच्चे अपने माता-पिता और बड़ों से केवल उनका समय चाहते हैं ! बच्चों को समय देने का अर्थ केवल उन्हें उपहार देना नहीं होता बल्कि बच्चे ऐसा समय चाहते हैं जिसमे मातापिता शारीरिक एवं मानसिक तौर पर बच्चों के साथ हों ! बच्चे चाहते हैं कि उनकी बातों को सुना जाए समझा जाए , जब वह नयी चीज़े सीखे तो उनका उत्साहवर्धन किया जाए ! तो चलिए आज आप खुद से वादा कीजिये की आप अपने बच्चों को अपना समय देंगे !

2. T for Talk

बातचीत एक बहुत ही उपयोगी व्यवहार है जिसे हमें बच्चों के साथ हमेशा स्थापित करने का प्रयास करना चाहिए ! बातचीत का अर्थ केवल यह नहीं कि हम बच्चों से उनके दैनिक जीवन के बारे में पूछें या उन्हें हमेशा सही या गलत का पाठ पढाते रहें, बल्कि अपने बच्चों से बिना किसी पूर्वाग्रह से बात करें, उनको समझने का प्रयास करें ! बच्चों में एक व्यव्हार विकसित करना आवश्यक हैं जिसमे बच्चे अपने मातापिता से रोजाना शाम/रात में दिन में घटित सारी बातों को साझा करें ! यह तभी संभव हो पायेगा जब आप भी अपनी रोजाना की दिनचर्या बच्चों के साथ साझा करेंगे, उनको बताएँगे की आज आपको अपने कार्यालय में क्या अच्छा लगा क्या बुरा लगा आदि ! ऐसा रोजाना करने से बच्चे के मन में भी अपनी रोजाना घटने वाली बातों को साझा करने का मन करेगा और यह धीरे धीरे एक व्यवहार बनेगा ! अगर यह व्यवहार विकसित हो गया तो आप बच्चों के मन को समझ पाएंगे और उन्हें किसी भी आगामी खतरे से बचा पाएंगे ! तो चलिए आज आप खुद से वादा कीजिये की आप अपने बच्चों से रोजाना खूब सारी बातें करेंगे !

3. T for Trust

आज के इस दौर में हम सब में अपने समाज के प्रति एक अजीब प्रकार का अविश्वास है जो शायद वर्तमान परिपेक्ष को देखते हुए कुछ हद तक ठीक भी है! लेकिन समाज आप और हम से मिलकर ही बनता है ! हमारे दैनिक जीवन में हमारे द्वारा बच्चों के साथ कुछ इस प्रकार का व्यवहार होना चाहिए जिससे बच्चे अपने माता-पिता, आसपास के लोगों एवं समाज के प्रति एक विश्वास की भावना विकसित कर पाए ! जब बच्चा अपने माता-पिता पर विश्वास कर पाएगा तो वह अपनी हर बात अपने माता-पिता को बताने में कभी भी संकोच नहीं करेगा ! अपने बच्चों पर नज़र रखने की द्रष्टि से रोजाना उनके मोबाइल चेक करने से समस्या का समाधान नहीं होगा बल्कि इससे समस्या शायद और बड़ी हो जाए ! तो चलिए आज आप खुद से वादा कीजिये की आप अपने बच्चों पर पूरा विश्वास करेंगे और उन्हें ये जताएँगे भी!

4. T for Train

बच्चों पर विश्वास करने के साथ साथ उन्हें कुछ खतरों के प्रति जागरूक एवं प्रशिक्षित करना भी अत्यंत आवश्यक है ! विभिन्न प्रशिक्षण जैसे गुड टच बैड टच क्या होता है, इंटरनेट का उपयोग करने के दौरान सावधानियां, ऑनलाइन दोस्त बनाने के दौरान सावधानीया! बच्चों को प्रेरित करें की वे अपनी फेवरेट कॉपी में अपना “सुरक्षित दायरा” बनाए ! इस दायरे में बच्चे उन सभी लोगों के नाम/फोटो चिपका सकते हैं जिनपर उनको सबसे ज्यादा विश्वास है जैसे मातापिता, दादा दादी, नाना नानी, चाइल्ड लाइन आदि ! यह सुरक्षित दायरा बच्चों को उनके प्रति किसी भी संदेहास्पद व्यवहार होने पर अपने विश्वासपात्र लोगों से शिकायत करने के लिए प्रेरित करेगा !

यदि आप और हम अपने दैनिक जीवन में इन छोटी-छोटी बातों का ध्यान रखेंगे तो हम अपने बच्चों को सुरक्षित रख सकते हैं ! बच्चे सुरक्षित तब होंगे जब समाज सुरक्षित होगा और समाज आप और हमसे ही बनता है ! तो चलिए एक सुरक्षित समाज बनाने का काम अपने अपने घरों से शुरू करते हैं !

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