फ्रेटरनिटी लैब चैंपियनशिप की साथी ईशा ने बताया की फ्रेटरनिटी लैब के सफ़र में शामिल होने से पहले वह संविधान की प्रस्तावना व मूल्यों को गहराई से नहीं समझती थी। पर फ्रेटरनिटी जर्नी के अड्डों में शमिल होने के बाद वो संविधान के प्रति बेहतर समझ को विकसित कर पाई है। ईशा ने बताया कि संविधान के मूल्य स्वतंत्रता,समानता,न्याय व बंधुत्व में उन्होंने समानता के मूल्य को अपने जीवन से जोड़ते हुए कहा है कि कुछ साल पहले उन्होंने स्कूल में लंच करते समय अपनी एक साथी के साथ पक्षपात किया था।
ईशा ने बताया कि उनकी साथी ‘नीची जाति’ की थी और वह ‘ऊंची जाति’ की। एक दिन उसने अपनी साथी के साथ लंच नहीं किया यह समझकर की वह ‘नीची जाति’ की है और ईशा ऊंची जाति की। जब उन्होंने अपनी साथी के साथ यह किया तो उनकी साथी को बेइज़्ज़ती महसूस हुई और उन दोनों के बीच मनमुटाव व तनाव की स्थति बनने लगी। कुछ समय बाद ईशा को एहसास हुआ कि उन्होंने अपनी दोस्त के साथ अच्छा बर्ताव नहीं किया, वह अपनी दोस्त से इस बर्ताव के लिए माफी मांगना चाहती थी पर हिम्मत नहीं जुटा पा रही थी।
फ्रेटरनिटी के सफ़र में शामिल होने के बाद ईशा ने इस बात को अब गहराई से समझा और बताया कि वह अपनी दोस्त से अब बात करने का प्रयास कर रही हैं व उन्होंने स्वयं से प्रण लिया कि कभी ऐसा नही करेगी। साथ ही अपने बाकी साथियों व समाज की सोच को भी बदलने का प्रयास करेंगी ताकि समाज को एकरूप दिया जा सके एवं भाईचारे को बढ़ाया जा सके, जिससे एक सशक्त राष्ट्र का निर्माण हो सके।